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घंटाघर से कौवा बोला काएं काएं- जिस समाज को ठुकराया था अब उसी से कर रहे वफा की उम्मीद, इसे कहते हैं मतलब पड़ने पर गधे को बाप बनाना

बिलारी। वर्ष 2017 के निकाय चुनाव में जिस समाज ने साहब को जी तोड़ मेहनत कर जीत की कगार पर पहुंचाया जो चंद वोटो से चुनाव हारे और हारते ही साहब का दिमाग गरम हो गया और उस समाज को अपशब्द कहे, अपनी गाड़ी पर लगी पार्टी की झंडी को उतार कर नाली में फेंक दिया, अब आने वाले निकाय चुनाव में फिर उसी समाज से चेयरमैन की कुर्सी पर बैठने की उम्मीद लगा रहे हैं। इसी को लेकर किसी ने खूब कहा है कि मतलब पड़ने पर गधे को बाप बनाना, अब वही साहब नगर में ऐतिहासिक रैली कर चेयरमैन की कुर्सी हासिल करने तैयारी में है।
बताते चलें कि साहब एक अल्पसंख्यक समाज से आते हैं। जिनके नगर में मात्र 1000 वोट है। वर्ष 2017 के निकाय चुनाव में वह अपने जाति समाज के मात्र 200 वोट ही ले पाए बाकी बोट अन्य पार्टियों को चले गए। इसके अलावा नगर में बहुसंख्यक जाति समाज के वोट अच्छी संख्या में मिले, जिसे जीत की कगार पर पहुंचा दिया, मात्र चंद वोटों से चुनाव हार गए। चुनाव हारते ही पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारियों के सामने ही एक बड़ी जाति वर्ग का नाम लेकर उसे अपशब्द कहे और मतगणना स्थल से बाहर निकलकर खड़े अपनी वाहन में लगी पार्टी के झंडी को उतारकर नाली में फेंक दिया और चुनाव के बाद विधानसभा चुनाव की तैयारी का मूड बनाकर पार्टी बदल दी लेकिन उस वोट बैंक वाली पार्टी से टिकट ना हो सका, जिससे साइलेंट मोड अपनाकर अपने व्यापार में लग गए, अब निकाय चुनाव करीब आते ही उस समाज के एक वरिष्ठ नेता के उस पार्टी में आ जाने से उसको मात देने के लिए उसी पार्टी से जुड़कर चेयरमैन प्रत्याशी पद के लिए आवेदन कर दिया, अब ऐतिहासिक रैली की तैयारी में वह साहब लगे हुए हैं और उसी समाज से उम्मीद लगा रहे हैं, जिस समाज को उन्होंने अपशब्द कहे थे और पार्टी में छवि खराब होने से पार्टी के पदाधिकारियों ने टिकट देने से मना कर दिया, उनका कहना है कि अगर वह समाज से माफी मांगे और पार्टी हित में बिना भेदभाव, ओछी मानसिकता आदि छोड़कर पार्टी में आवेदन करें तो पार्टी कमेटी इस पर विचार करेगी। बताते चलें कि साहब जिस पार्टी से अपना चेयरमैनी का टिकट पक्का मान रहे हैं, उसी पार्टी से दूसरा संभावित प्रत्याशी विधानसभा चुनाव न लड़कर पार्टी को लड़ा कर चेयरमैन प्रत्याशी का दावेदार बना हुआ है। पार्टी हाईकमान और समाज के लोग इस बात को स्वीकार कर रहे हैं कि अब के उस प्रत्याशी का हक बन रहा है जो पिछले काफी समय से डोर टू डोर जनसंपर्क कर रहा है। इसी के चलते चेयरमैन की कुर्सी उसके खाते में जाने की संभावना बनी हुई है, लेकिन साहब का कहना है कि चाहे जो हो जाए मैं चेयरमैन की कुर्सी पर जरूर बैठूंगा, उस समाज के भरोसे जिस समाज को अपशब्द कहे थे और उस समाज के कुछ लोग बिकाऊ जो उसके आवास पर पड़े रहते हैं और धुआं उड़ाते रहते हैं। इसके अलावा बताते चलें कि तहसील प्रशासन से जुड़े लोगों का कहना है कि साहब ने एक बहुत बड़ा एरिया घेर रखा है। जिस पर अपना प्रतिष्ठान बना लिया है। जिस पर अवैध कब्जा है, जो गाटा संख्या 1134, 1132 पर भूमि पर अनाधिकृत कब्जा किये हुए है। इसको लेकर तहसील प्रशासन जांच कर रहा है, बहुत ही जल्द उस साहब की इमारत पर बुलडोजर चलता हुआ नजर आएगा जो चेयरमैन की कुर्सी पर बिना बैठे ग्राम समाज की भूमि पर कब्जा कर सकता है तो वह नगर पालिका को लूटने का काम करेगा। इस बात को लेकर यह मामला पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है।
 किसी ने खूब कहा है कि 
उन्हीं फूलों से मिले बू ए वफा,
जिनको ठुकराया उन्हीं से उम्मीद

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