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संभल के मुसलमानों की आवाज़ कहे जाने वाले शफीकुर्रहमान बर्क की मौत के बाद चर्चा है कि अब उनकी राजनीतिक विरासत संभल में कौन संभालेगा?

संभल के मुसलमानों की आवाज़ कहे जाने वाले शफीकुर्रहमान बर्क की मौत के बाद चर्चा है कि अब उनकी राजनीतिक विरासत संभल में कौन संभालेगा? 
हालांकि उनके पोते जियाउर्रहमान सियासत में हैं और कुंदरकी विधानसभा से समाजवादी पार्टी के विधायक हैं। फिर भी जिस अंदाज में डाक्टर शफीकुर्रहमान बर्क़ ने सियासत की उसी तरह कौन संभल का नेतृत्व करेगा इस पर सवाल उठना लाजिमी है।वैसे तो बर्क़ साहब की बिरादरी से ही कई और नेता हैं जो संभल लोकसभा से सांसद के लिए अपनी दावेदारी ठोक सकते हैं।
    भारत के सबसे उम्रदराज सांसद शफीकुर्रहमान बर्क की मौत के बाद यूपी के संभल की सियासत का अगला चहरा कौन होगा इस पर चर्चा तेज़ हो गई है।वो संभल सीट से 4 बार विधायक और 2009 एवं 2019 में संभल लोकसभा बनने के बाद 2 बार सांसद रहे हैं।इससे पहले डाक्टर शफीकुर्रहमान बर्क मुरादाबाद लोकसभा क्षेत्र से भी 1996,1968 और 2004 में सांसद चुने गए थे।शफीकुर्रहमान बर्क़ साहब की मशहूरियत और राजनीति ऐसी रही कि उनके जीते-जी संभल के लोगों ने उनसे ज़्यादा किसी को नेतृत्व देना पसंद नहीं किया।उनकी कामयाबी की सबसे बड़ी वज़ह उनका ताल्लुक तुर्क बिरादरी से होना भी है जिसका वोट बैंक मुरादाबाद मंडल की पांचो लोकसभा क्षेत्रों में निर्णायक स्थिति रखता है।
   अकेले संभल लोकसभा में ही तुर्क वोटो की तादाद लगभग 2.50 लाख है।संभल की 5 विधानसभाओं में से 4 में तुर्क वोट निर्णायक संख्या में है और जिले की 5 सीटों में से दो पर तुर्क विधायक भी हैं, ऐसे में अब तुर्क बिरादरी से अगला सांसद चेहरा कौन होगा इस पर मंथन होने लगा है।हालांकि तमाम बुद्धिजीवी कहते हैं बर्क इतनी बड़ी शख्सियत थी कि उनके बाद संभल और तुर्कों को ऐसा नेता ढूंढने का तसव्वुर भी करना मुश्किल है।
   संभल लोकसभा क्षेत्र में इस वक्त 19 लाख से अधिक मतदाता हैं. जिनमें लगभग लगभग 9 लाख मुस्लिम वोट हैं. मुस्लिम में सबसे ज्यादा तुर्क उसके बाद करीब 1.50 लाख शेख मतदाता हैं।जिले में इस वक्त बिलारी सीट से फहीम इरफान और कुंदरकी सीट से जियाउर्रहमान बर्क तुर्क विधायक हैं. इसके अलावा कुंदरकी से पूर्व विधायक हाजी रिजवान और भारतीय प्रधान संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष मोहम्मद उस्मान एडवोकेट भी इस क्षेत्र के अहम तुर्क चेहरे हैं।
   2009 के चुनाव में जब नई संभल लोकसभा बनी तो मुलायम सिंह यादव जी ने यहां से समाजवादी पार्टी का इकबाल महमूद को प्रत्याशी बनाया। इस निर्णय को संभल के तुर्कों ने अपनी आन बान शान से से जोड़ कर शफीकुर्रहमान बर्क साहब को बहुजन समाज पार्टी (BSP) में शामिल करा कर सांसद बनाने का काम किया।हालांकि बर्क़ साहब की इस जीत में उन्हें दलितों के साथ दूसरे तबकों का भी भरपूर वोट मिला था। मगर इस चुनाव ने संभल की राजनीति में तुर्क समाज की ताक़त का लोहा सबके दिमाग में बैठा दिया।
   अब 2024 का लोकसभा चुनाव क़रीब होने की वजह से शफीकुर्रहमान बर्क साहब की मौत की ख़बर के साथ ही साथ क्षेत्र में धीमी अवाज में दूसरे तुर्क नेताओं के नामों पर चर्चा होने लगी है।बर्क साहब को समाजवादी पार्टी अपनी पहली लिस्ट में संभल सीट से लोकसभा उम्मीदवार भी घोषित कर चुकी है। इसलिए सबकी जुबान पर एक ही सवाल है कि अब तुर्कों में बर्क़ साहब की जगह संभल लोकसभा से उनकी नुमाइंदगी कौन करेगा?
   संभल लोकसभा की ही कुंदरकी सीट से विधायक जियाउर्रहमान जो शफीकुर्रहमान बर्क के पोते और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से शिक्षा प्राप्त हैं साल 2022 में कुंदरकी सीट से तीन बार के सजातीय विधायक हाजी रिज़वान का टिकट काटकर पहली बार विधानसभा पहुंचे हैं।वह 2017 में संभल विधानसभा सीट से AIMIM के टिकट पर चुनाव लड़ चुके हैं उनके बारे में शफीकुर्रहमान बर्क के बाद उम्मीद की जा रही है कि अब MP का टिकट बतौर विरासत जियाउर्रहमान को ट्रांसफर हो सकता है। उनके समर्थक  कहते हैं कि बर्क़ साहब का मुसलमानों के लिए बिना डरे स्टैंड लेना उनकी USP थी।ऐसे ही वो उनके पोते से उम्मीद करते हैं कि वो इस विरासत को आगे बढ़ाने का काम करेंगे जिसकी झलक वो विधानसभा में बोलकर दिखा चुके हैं।वैसे कुछ लोग उनके कम तजुर्बेकार होने की वज़ह से किसी और नाम पर विचार होने की बात स्वीकार करते हैं।
  संभल लोकसभा में ही बिलारी विधानसभा से 3 बार के MLA मुहम्मद फहीम इरफान समाजवादी के वरिष्ठ नेता आजम खां के करीबी माने जाते हैं।जो बिलारी विधानसभा से लगातार तीन बार विधायक चुने जा चुके हैं जहां से  2012 में पहले विधायक के रूप में उनके पिता मोहम्मद इरफान भी विधायक रह चुके हैं जिनकी एक सड़क हादसे में मौत के बाद से बिलारी सीट से मुहम्मद फहीम इरफान ही विधायक हैं।
   इसी संभल लोकसभा के सक्रिय व्यक्तित्व भारतीय प्रधान संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष मोहम्मद उस्मान एडवोकेट भी मुरादाबाद मंडल के तुर्क समाज के बड़े चहरों में से एक हैं।इनका नाम सांसदी हेतु  2019 के लोकसभा चुनाव में आया था।उस वक्त SP-BSP के साथ आने पर चर्चा थी कि गठबंधन की ओर से किसी ऐसे चेहरे को संभल से चुनाव लड़ाया जाए जो विवादों में न रहा हो इस रोशनी में समाजवादी पार्टी से मोहम्मद उस्मान एडवोकेट का नाम चर्चाओं में आया था।अब भी ये चर्चाएं हो रही हैं कि मौजूदा विधायक के बजाय  विधान सभा का उप चुनाव बचाने, शफीकुर्रहमान बर्क़ जैसी दीनदारी रखने और खानक़ाही हस्तियों की पसंद के तर्क को आधार बनाकर संभल लोकसभा से अपनी दावेदारी रख सकते हैं।मोहम्मद उस्मान एडवोकेट बिलारी विधायक मुहम्मद फहीम इरफान के सगे चाचा और इस परिवार के सबसे तजुर्बेकार मुखिया हैं।वो 1993 से 2020 तक बिलारी विधानसभा के गांव मुहम्मद इब्राहीमपुर के छः बार प्रधान, 2015 में सदस्य जिला पंचायत/जिला योजना के सदस्य बनने के अलावा दस वर्ष तक उत्तर प्रदेश पंचायत राज सामान्य लाभ निधि परामर्श समिति के सरकारी नामित सदस्य भी रहे हैं।
    कुंदरकी विधानसभा से वर्ष 2002, 2012 और 2017 में सपा से विधायक रहे हाजी मोहम्मद रिजवान भी इस क्षेत्र में तुर्कों के बड़े नामों में से एक हैं. कुंदरकी से 2022 में सपा ने हाजी रिजवान का टिकट काट शफीकुर्रहमान बर्क के पोते जिया को दे दिया गया था. जिसके बाद वो पार्टी से बागावत करते हुए जियाउर्रहमान के खिलाफ BSP से चुनाव लड़े जिसमें उन्हें करारी हार का सामना करना पढ़ा था। इसके अलावा कुंदरकी से ही एक और पूर्व विधायक और पूर्व राज्यमंत्री अकबर हुसैन, पूर्व विधायक और जिला पंचायत अध्यक्ष शरीयतुल्लाह का नाम भी संभल लोकसभा के तुर्क बिरादरी से जुड़े नेताओं के रूप में चर्चित हो रहा है।
   सांसद शफीकुर्रहमान बर्क साहब का 27 फरवरी को मुरादाबाद के अस्पताल में निधन हो गया। वो लंबे समय से बीमार थे और उम्र के 94वें पड़ाव में इस दुनिया से रुख्सत होने वाले शफीकुर्रहमान बर्क़ मरते दम तक सांसद रहे और कुछ वक्त पहले तक ही वो सक्रिय रूप से राजनीति कर रहे थे जो 28 फरवरी को संभल के सबसे बड़े क़ब्रिस्तान में पूरे एजाज के साथ हज़ारों ग़मगीन समर्थकों की भीड़ में दफन किए गए हैं।

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