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जनवरी में नववर्ष मनाना है पाश्चात्य संस्कृति का प्रतीक- आचार्य विजय


बिलारी। तहसील के गांव बहोरनपुर नरौली स्थित प्रेम शांति इंटर कॉलेज के सभागार  में आजादी का अमृत महोत्सव  के तहत एक बैठक का आयोजन हुआ। जिसमें 1 जनवरी के स्थान पर चैत्र प्रतिपदा पर नववर्ष मनाने, नए साल के बहाने युवाओं से शराब व फूहड संगीत पर नृत्य से परहेज करने का आवाहन किया।  क्षेत्र में नशा मुक्ति व्यसन मुक्ति अभियान चलाने पर सहमति बनी।
 शुक्रवार  बैठक में छात्रों को संबोधित करते हुए प्रधानाचार्य विजयपाल सिंह राघव ने कहा कि 1 जनवरी को नववर्ष मनाना अंग्रेजी मानसिकता व पाश्चात्य संस्कृति का द्योतक है। युवा वर्ग नव वर्ष के बहाने तेज संगीत की ध्वनि पर देर रात तक शराब के नशे में झूमता रहता है। यदि समय रहते बुद्धिजीवि व संस्कृति प्रेमी नहीं चेते तो भारतीय संस्कृति का नामोनिशान मिट जाएगा। कहा कि भारतीय संस्कृति में नव वर्ष चैत्र प्रतिपदा से आरंभ होता है और उस समय ऋतु परिवर्तन, बच्चों का कक्षा परिवर्तन व शैक्षिक पंचांग परिवर्तन भी होता है जबकि 1 जनवरी को ऐसा कुछ नहीं होता। सामाजिक कार्यकर्ता भूपेंद्र प्रताप सिंह एडवोकेट कहा कि व्यापारी, सरकारी कार्यालय पर भी नववर्ष का लेखा-जोखा चैत्र प्रतिपदा अप्रैल से ही आरंभ होता है इसलिए नव वर्ष के बहाने  युवाओं को फ़ूहड़ संगीत दुर्ग व्यसन व मद्यपान से बचना चाहिए। इस अवसर पर मुख्य रूप से विजयपाल सिंह राघव,  ,मुनेश पाल सिंह, सुखबीर यादव ,मनोज सागर, प्रदीप कुमार, आदित्य राघव, कुमारी सजल राघव कुमारी नीलम राघव रेशमा रुखसार प्रीति कुमारी हरबत्ती गुड़िया कुमारी कुमारी अनामिका अजय सागर चमन कश्यप चंद्र प्रकाश ज्ञान प्रकाश राज आलम सौरभ सागर आदि सहित अन्य  ने भी अपने विचार रखे।

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