बिलारी। क्षेत्र के गांव रुस्तम नगर सहसपुर निवासी मुस्तकीम अहमद जो सलार इंटर कॉलेज थांवला के शिक्षक है। इस दौरान उन्होंने कहा कि शिक्षक वह दीप जो हमारे अंदर ज्ञान भरते हैं, एक शिक्षक अपना संपूर्ण जीवन हमें ज्ञान और सही रास्ता दिखाने में लगा देते हैं, महान कवि कबीर दास ने भी कहा है कि यदि शिक्षक और भगवान दोनों सामने आए तो हमें पहले शिक्षक का चरण स्पर्श करना चाहिए क्योंकि शिक्षक ही हमें ज्ञान देकर भगवान तक पहुंचाने का रास्ता दिखाते हैं, और उन्होंने कहा कि 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है। शिक्षकों के समर्पित यह दिन भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉक्टर सर्वपल्ली राधा कृष्ण के जन्मदिन के अवसर पर मनाया जाता है। शिक्षा के क्षेत्र में कई अहम योगदान देने वाले सर्वपल्ली राधा कृष्ण को 1952 में भारत रत्न की उपाधि भी दी गई थी। आधिकारिक पर 5 सितंबर 1962 से भारत में शिक्षक दिवस मनाने की शुरुआत हुई थी। आपको बता दें कि जब एक बार पूर्व राष्ट्रपति से सवाल किया गया था कि वह अपना जन्मदिन किस तरह मनाना चाहते हैं तो इस पर उन्होंने कहा था कि अगर मेरे जन्मदिन को शिक्षक दिवस के रुप में मनाया जाए तो उन्हें बेहद प्रसंता होगी, तब से प्रत्येक वर्ष इस दिन स्कूल व कॉलेजों में उत्सव का माहौल रहता था। परंतु कोरोना के चलते इस बार इस तरह का कोई भी कार्यक्रम आयोजन नहीं किया जा रहा है, और उन्होंने कहा कि मां-बाप हमें जन्म देते हैं लेकिन सही गलत का फर्क शिक्षक की हमें सिखाते हैं, जिससे हमारा चरित्र निर्माण तो होता ही है साथ ही साथ सही मार्गदर्शन भी मिलता है जो हमारे उज्जवल भविष्य के लिए बेहद जरूरी है यही कारण है कि शिक्षकों का स्थान माता पिता से भी ऊपर होता है कोरोनाकाल मे शिक्षा व्यवस्था पर खास प्रभाव पड़ा है। बावजूद इसके शिक्षा के बिना हम अपने जीवन को की कल्पना नहीं कर सकते, आने वाले समय में शिक्षा के क्षेत्र में बदलाव होने वाले हैं लेकिन सभी छात्रों को निस्वार्थ भाग से एक शिक्षक ही शिक्षा दे सकता है, वह हमारे अंदर की बुराइयों को दूर कर हमें एक बेहतर इंसान बनाने के लिए काफी मेहनत करते हैं। और उन्होंने कहा कि शिक्षकों के इस योगदान के लिए हमें अपने शिक्षकों का मान सम्मान करना चाहिए और उनका सदा आदर व सम्मान करना चाहिए क्योंकि शिक्षक ही हमारे माता पिता के समान और हमारे लिए अपनी अहम भूमिका निभाने वाले होते हैं।
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