बिलारी। पूर्वांचल विद्युत वितरण के प्रस्तावित विघटन वाणिज्य कर को व्यापक जनहित में निरस्त करने की मांग को लेकर विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के प्रतिनिधिमण्डल विधायक मोहम्मद फहीम इरफान से मिले और ज्ञापन सौंपा।
ज्ञापन में कहा गया कि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम को तीन भागों में विभाजित कर संपूर्ण विद्युत वितरण का निजीकरण करने के प्रदेश सरकार के प्रस्ताव के विरोध में विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति उत्तर प्रदेश द्वारा चलाए जा रहे ध्यानाकर्षण अभियान के अनुसार प्रदेश के सभी ऊर्जा निगमों के तमाम बिजली कर्मचारी, जूनियर इंजीनियर व अभियंता शांतिपूर्ण तरीके से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं किंतु प्रबंधन का हटवादी व दमनात्मक रवैया बना हुआ है, जिससे बिजली कर्मचारियों में भारी रोष है। एसडीओ विश्वजीत चौधरी ने बताया कि निजीकरण होने से जहां एक तरफ आम जनता परेशान होगी क्योंकि अभी किसानों और गरीबी रेखा से नीचे और 500 यूनिट प्रतिमाह बिजली खर्च करने वाले उपभोक्ताओं को पावर कॉर्पोरेशन घाटा उठाकर बिजली देता है, लेकिन निजीकरण के बाद बिजली महंगी होने के साथ साथ लोगों को परेशानी का सामना भी करना पड़ेगा। उन्होंने आगे बताया कि निजी कंपनी मुनाफे के लिए काम करती हैं जबकि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम बिना भेदभाव के किसानों और गरीब उपभोक्ताओं को निर्बाध बिजली आपूर्ति कर रहा है। ग्रेटर नोएडा और आगरा में निजीकरण की विफलता को देखते हुए पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के निजी करण का प्रस्ताव हर हाल में रद्द किया जाना चाहिए। इस दौरान वरिष्ठ लिपिक चन्दन सिंह विष्ट, जेई अवनीश सिंह, जेई शम्स तबरेज, जेई योगेन्द्र कुमार, जेई संजीव कुमार समेत विद्युतकर्मी मौजूद रहे।विधायक बिलारी मोहम्मद फहीम इरफान ने उक्त समस्या के संबंध में निराकरण के लिए प्रधानमंत्री भारत सरकार और मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश सरकार को पत्र भेजकर जल्द ही समाधान की मांग की।
0 टिप्पणियाँ