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विपरीत परिस्थितियों में भी साथ नहीं छोड़ा, ऐसे है आज़म खां, देखे व पढ़े रिपोर्ट

रुतबा ए आजम जिसने बुरे समय मैं भी समाजवादी पार्टी के सिद्धांतों को नहीं छोड़ा था। कुछ ऐसी अनसुनी बात आजम खान के बारे में जोकि दूसरे नेताओं में कम ही देखने को मिलता है ....पढ़े रिपोर्ट
ऐसे है आज़म खां 

2009 के लोकसभा चुनाव हो चुके थे ।UPA की सरकार बन गयी । अखिलेश यादव कन्नौज और फ़िरोज़ाबाद से चुनाव जीते थे उन्होंने कन्नौज सीट छोड़ दी । फिरोजाबाद में उप चुनाव के लिए अमर सिंह ने डिम्पल यादव को लड़ाने का प्रस्ताव रखा जिसे पार्टी ने मान लिया । डिम्पल यादव के ख़िलाफ़ कांग्रेस के राज बब्बर ने पर्चा भरा । राज बब्बर समाजवादी पार्टी से कांग्रेस में गए थे इसलिए उनके आज़म खां से भी अच्छे सम्बन्ध थे । राज बब्बर को उम्मीद थी कि सपा से निकाले गए आज़म खां उनके कहने से उनका प्रचार कर देंगे क्यूँकि डिम्पल यादव को अमर सिंह ने प्रत्याशी बनाया है ।

राज बब्बर रामपुर आए , उन्होंने आज़म खां से अपने प्रचार के लिए एक दिन का समय माँगा । आजम खां  ने राज बब्बर को जवाब दिया , “ मैंने पार्टी छोड़ी है परिवार नहीं , डिम्पल यादव मेरे परिवार की बहु है । मैं उनके ख़िलाफ़ प्रचार करने की सोच भी नहीं सकता। 

ऐसे है आज़म खां 

2009 के लोकसभा चुनाव से पहले आज़म खां साहब ने समाजवादी पार्टी छोड़ दी । UPA मनमोहन सिंह जी के नेतृत्व में एक टर्म सरकार चला चुकी थी और दूसरे टर्म के लिए चुनाव लड़ने जा रही थी । दिग्विजय सिंह उत्तर प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी थे । बेगम नूर बानो के प्रचार के लिए सोनिया गांधी को रामपुर आना था । दिग्विजय सिंह अचानक आज़म खां के घर पहुँच गए और उन्होंने कांग्रेस में शामिल होने के लिए मनाने लगे । दिग्विजय सिंह चाहते थे कि सोनिया गांधी की रेली में आज़म खां कांग्रेस में शामिल हो जाए । आज़म खां ने साफ़ इंकार कर दिया और पार्टी बदलना स्वीकार नहीं किया ।


ऐसे हैं आज़म खां !

2011 की बात है । मायावती की सरकार चल रही थी । सपा को वापसी के लिए आज़म खां जी की ज़रूरत महसूस हो रही थी । शिवपाल यादव जी उन्हें मनाने की कोशिश में लगे हुए थे । शिवपाल यादव जी और आज़म खां जी दोनो एक दूसरे की बहुत इज़्ज़त करते हैं क्यूँकि दोनो ही संघर्ष के साथी थे और दोनो ने ही पार्टी को फ़र्श से अर्श तक ले जाने में अपनी भूमिका निभायी है । तमाम हील हुज्जत के बाद आज़म खां जी समाजवादी पार्टी में वापस आने को तैयार हो गए ।

आज़म खां की पार्टी में वापसी के लिए मंच सजाया गया । पार्टी के नेता, कार्यकर्ता इकट्ठा हुए । मुलायम सिंह यादव जी की मौजूदगी में आज़म खां पार्टी में वापस आए ।मुलायम सिंह यादव ने उन्हें तभी सदन में विपक्ष का नेता घोषित कर दिया , शिवपाल यादव ने नेता विपक्ष के पद से उसी समय इस्तीफ़ा लिखकर मुलायम सिंह यादव को दे दिया ।
आज़म खां बोलने के लिए माइक पर आए , नेताजी के हाथ से शिवपाल यादव का इस्तीफ़ा लेकर फाड़ दिया और बोले कि अगर मैंने विपक्ष के नेता का पद स्वीकार कर लिया तो लोग सोचेंगे कि आज़म खां पद के लालच में पार्टी में वापस आया है । सदन में हमारे नेता शिवपाल यादव ही रहेंगे और हम सब लोग मिलकर उनके नेतृत्व में काम करेंगे ।अगले साल विधान सभा चुनाव हुए और समाजवादी पार्टी पूर्ण बहुमत से सरकार में आयी ।

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