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बेटी देना ही सबसे बड़ा दहेज- प्रशांत गुप्ता

एक पिता अपनी बेटी का पालन पोषण करता है, उसको पढ़ाता  लिखाता है,  घर के काम सिखाता है। ससुराल जाकर वह कैसे काम करेगी यह सब उसकी मां उसे सिखाती है। फिर शादी के लिये पिता उस बेटी के लिये अच्छा सा लड़का देखता है जोकि उसकी बेटी का जीवन भर साथ निभा सकें। मगर एक समाज के डर के कारण उस बेसकीमती बेटी के लिये जोकि उसके दिल का टुकड़ा होती है, उसके विवाह के लिये दहेज का सामान इकट्ठा करने में अपना जीवन एक कर देता है। मगर देखा जाये तो इस संसार में बेटी ही सबसे बड़ा दहेज है। क्योंकि जिस बेटी को पाल पोष कर उसको इतना बड़ा किया  कि वो ससुराल जाकर अपने पति का साथ निभाती है, अपने ससुरालियों की सेवा करती है, अपने पति की देखभाल करती है। परिवार को संभालती है। इसके बावजूद भी लोकलाज के कारण पिता दहेज इकट्ठा करता है। इसके अलावा संसार में कुछ परिवारों  में बेटियों को बोझ माना जाता हैं। वह तो यह आस लगायें रहते है कि हमारे परिवार में बेटी न हो बेटा हो। क्यों न इस संसार में जागरूक लोगों को और जागरूक किया जायें। अगर यह बात सभी जागरूक लोग समाज को मिलकर बताये और समझाये कि बेटी ही सबसे बड़ा दहेज है तो कोई भी परिवार बेटी को बोझ नहीं समझेंगा और यही उम्मीद करेगा कि अगली संतान बेटी ही हो।

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