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रुपये के लालच में निजी अस्पताल के डॉक्टर ने ली नवजात शिशु की जान!

मुरादाबाद में एक निजी अस्पताल कठघरे में है। आरोप है कि रुपये के लालच में एक नवजात शिशु की जान चली गई। नॉर्मल डिलिवरी से बच्चे का जन्म हुआ था। पीड़ित के बच्चे का इलाज करने के बहाने डॉक्टर ज्यादा बिल बनाना चाहता था। इसलिए स्वस्थ बच्चे को भी डॉक्टर ने जबर्दस्ती मशीनों में रख दिया।

मुरादाबाद
मुरादाबाद में एक निजी अस्पताल कठघरे में है। आरोप है कि नॉर्मल डिलिवरी के बाद बिल बढ़ाने के लिए नवजात बच्चे को जबरन चिकित्सा उपकरणों के साथ रखा गया। पीड़ित मोहम्मद आबिद की पत्नी सबाना को प्रसव पीड़ा के बाद 1 अगस्त को कटघर थाना स्थित सनराइजर्स हाॅस्पिटल में भर्ती कराया था। सबाना ने नॉर्मल डिलिवरी के बाद बेटे को जन्म दिया था।
इसके बाद डॉक्टर शकील ने जच्चा-बच्चा दोनों के स्वस्थ होने की बात कही। उन्होंने कहा कि दोनों को आप घर ले जा सकते हैं। अस्पताल का जो बिल बकाया रह गया है वह जमा करा दीजिए। जब पीड़ित आबिद घर से रुपये लेकर वापस अस्पताल पहुंचा तो डॉक्टरों ने कहा कि आपके बच्चे कि हालत अभी ठीक नहीं है। आबिद ने डॉक्टर शकील से मना किया कि मेरे बेटे को डिस्चार्ज कर दीजिए। लेकिन पीड़ित की लाख मिन्नतों के बाद भी डॉक्टरों ने नवजात शिशु को अस्पताल से छुट्टी नहीं दी और मशीनों में रख दिया। इन सबके बीच नवजात ने अस्पताल में ही दम तोड़ दिया। जिसके बाद आबिद ने अस्पताल में पुलिस बुलाकर जबर्दस्ती इलाज करने और बच्चे को मारने का आरोप लगाया।

कटघर पुलिस ने मामले का संज्ञान लेकर अस्पताल के डॉक्टर के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है। अस्पताल के डॉक्टरों से बात करने की कोशिश की गई लेकिन सभी ने अपने फोन बंद कर रखे हैं। अस्पताल का बाकी स्टाफ भी कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है। पीड़ित आबिद ने बताया कि अपनी सास रेशमा जो आशा है उसके कहने पर काशीपुर तिराहे पर डॉक्टर शकील के यहां भर्ती कराया था। नार्मल डिलिवरी से मेरी पत्नी ने बेटे को जन्म दिया था। दो दिन बाद ही बच्चे की तबीयत खराब होने की बात कहकर बच्चे को मशीन में रख दिया।
आबिद का कहना है, 'अस्पताल के ही डॉक्टर गुलज़ार मेरी सास का कमिशन और अस्पताल की आमदनी बढ़ाने के चक्कर में डॉक्टर शकील से मिलकर मेरे 9 दिन के ठीक-ठाक बेटे की छुट्टी नहीं होने दी। जिसकी वजह से मेरे बेटे की आज मौत हो गई। जिसका सबूत मेरे पास डॉक्टर गुलजार और मेरी सास जो आशा है उसकी ऑडियो भी है। किस तरह से मेरे स्वस्थ बेटे को अस्पताल में रखा गया और उसकी मौत हो गयी।

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