लखनऊ उत्तर प्रदेश – सत्ता का नशा और उसका सुरूर क्या होता है ? यह खुलासा कर रहा है, उत्तर प्रदेश सरकार के परिवहन मंत्री का वायरल वीडियो। इसमें परिवहन मंत्री अशोक कटारिया समर्थकों के बीच बैठे शेखी बघारते दिख रहे हैं। यही नहीं वह सजातीय पूर्ववर्ती मंत्रियों की मजाक उड़ाने से भी नहीं हिचके।
खास बात यह है कि जिस जनपद का परिवहन मंत्री हो, उस जनपद को परिवहन की निम्न स्तरीय सुविधाएं उपलब्ध हो रही हो और मंत्री जी अपने पास परिवहन विभाग होने की शेखी बघारते दिखें तो इस वीडियो का वायरल होना भी लाजमी है। आप भी देखें वायरल वीडियो! परिवहन मंत्री का वायरल वीडियो देख जनता दे रही ताना!
मंडल मुरादाबाद के जिला बिजनौर की सड़कों पर अधिकांश बसें पुरानी व कंडम दौड़ रही हैं। जनपद में डग्गामारी पर भी कोई लगाम नहीं लगा पा रहा है। जनपद बिजनौर से दर्जनों डग्गामार बसें रोजाना दिल्ली को दौड़ती हैं। दर्जनों मार्गों पर परिवहन निगम की बसों की संख्या कम होने के कारण यात्रियों को डग्गामार वाहनों में अपनी जान जोखिम में डालकर यात्रा करने को मजबूर होना पड़ता है। इतने पर भी अपने को परिवहन विभाग मिलने पर मंत्री जी न सिर्फ स्वयं को गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं, बल्कि सजातीय पूर्ववर्ती मंत्रियों का उपहास भी उड़ा रहे हैं।
उन्हें इस बात का तनिक भी अफसोस नहीं है कि जिस जनपद का नुमाइंदा बन कर वह मंत्री की कुर्सी का सुख भोग रहे हैं, वहां की जनता को निम्न स्तर की परिवहन सुविधा उपलब्ध हो रही है।
पूरे प्रदेश में हाल बुरा
परिवहन विभाग को डग्गामारी से पूरे प्रदेश में करोड़ों ₹ के राजस्व की क्षति पहुंचाई जा रही है। रोडवेज बसों में कोरोना संकट के बीच सामाजिक दूरी का पालन नहीं हो रहा। परिवहन अधिकारी कार्यालयों में खुलेआम भ्रष्टाचार हो रहा है। इन सब बातों से मंत्री जी अनजान हैं।
क्या है वायरल वीडियो में!
यूपी के राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार अशोक कटारिया गृह जनपद बिजनौर में अपने समर्थकों के बीच चौपाल लगा के दिखे शेखी बघारते!
मंत्री जी ने कहा बिन मांगे मंत्री बनाया, मंत्री भी होमगार्ड का नहीं बनाया जैसे वेदराम भाटी को बनाया, लघु सिंचाई का नहीं बनाया, जैसे लखीराम नागर को बनाया!
परिवहन का बनाया, सड़क पर जो चल रही है गाड़ी, वो हमारी है। गौरतलब है कि वेदराम भाटी व लखीराम नागर बहुजन समाज पार्टी की सरकार में मंत्री रह चुके हैं। दोनों की ही गिनती बसपा के दिग्गज नेताओं में होती रही। दोनों ही चुनाव मैदान में उतर कर जनता के वोट पाकर जीतते रहे। दूसरी ओर अशोक कटारिया नामित की श्रेणी में हैं, यानि वह बिना जनता के बीच गए, बिना चुनाव लड़े सत्ता सुख भोग रहे हैं।
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